*।।रचना शीर्षक।।*
*।।आँसू कोई मामूली चीज़ नहीं*,
*कोई अनकही दास्तान हों जैसे।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
आँसू तो मानो जैसे अनकहा
बयान हैं।
खुशी गम का मानो तो जमीं
आसमान हैं।।
आँसू मोती हैं लफ्ज़ हैं और
हैं दर्द भी।
बहते मानो पीछे लिये जैसे
दास्तान हैं।।
आँसू वो शब्द हैं जिन्हें कागज़
कलम मिल न सका।
यह वो सैलाब जो दिल के
भीतर सिल न सका।।
दर्द और खुशी का पैमाना ये
छलका हुआ।
गम का वह फूल है आँसू
जो खिल न सका।।
मुकाम मिलने न मिलने दोनों
का सबब आँसू हैं।
हर बूंद में छिपी कहानी
ऐसा गज़ब आँसू है।।
नहीं कह कर भी बहुत कुछ
कहते हैं आँसू।
खुशी और गम दोंनों में बहे
ऐसा अजब आँसू है।।
जब दिल और दिमाग दबाब
कुछ सह नहीं पाता है।
जब जिन्दगी से मिला जवाब
कुछ कह नहीं जाता है।।
फूट पड़ते हैं आँसू इक दरिया
सा बन कर।
जब पूछने को कोई सवाल
भी रह नहीं आता है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।*
मोब।। 9897071046
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