एस के कपूर श्री हंस

*पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित।।*  *14 फरवरी*

*शीर्षक।।शहीद हमारे अमर महान हो गए।*

*।।मुक्तक।।*


नमन है उन शहीदों को जो

देश पर कुरबान हो गए।



वतन  के  लिए देकर जान

वो   बे जुबान  हो   गए ।।



उनके प्राणों  की  कीमत से

ही सुरक्षित है देश हमारा।



उठ  कर  जमीन  से   ऊपर

वो जैसे आसमान हो गए।।


*रचयिता।।। एस के कपूर*

*श्री हंस।।।।।बरेली।।।।।।।।*


मोब  9897071046।।।।।।।।

8218685464।।।।।।।।।।।।।


*।।रचना शीर्षक।।*

*।।प्रेम से जीत सकते हर*

*दिल का मुकाम हैं।।*


मन में   प्रेम     तो   सुख

बेहिसाब     है।

बस   क्रोध    कर    देता

काम खराब   है।।

क्रोध में जीत   नहीं मिले

है    हार   इसमें।

साथ आ गई      घृणा तो

सब     बर्बाद है।।


करो दुआ सबके लिए कि

दवा   समान    है।

महोब्बत का छोर तो जमीं

आसमान       है।।

जरूरत नहीं किसी    तीर

और तलवार की।

प्रेम से हम जीत सकते हर

दिल का मुकाम हैं।।


हम जन्म नहीं  पर  चरित्र

के    जिम्मेदार हैं।

हर किसी के मन  में चित्र

के जिम्मेदार    हैं।।

क्रोध लेकर   आता   शत्रु

और     चार   चार।

जीव में घटित हर  विचित्र

के    जिम्मेदार   हैं।।


किरदार करता है    फतह

हर    दिल       में।

चेहरे से मिलती  ना जगह

हर   दिल       में।।

प्रेम की डोर     बहुत   ही 

बारीकओ नाजुक।

इससे मिले रहने के वजह

हर     दिल      में।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।*

मोब।।।           9897071046

                      8218685464


 *मातृ पितृ पूजन दिवस।।।।।।*

*(क) हमारी माता।हमारी जीवनदायिनी।हाइकु*

1

माता हमारी

चांद सूरज जैसी

है वह न्यारी

2

माता का प्यार

अदृश्य वात्सल्य का

फूलों का हार

3

माता का क्रोध

हमारे    भले     लिये

कराता   बोध

4

घर की शान

माता रखती ध्यान

करो सम्मान

5

माँ का दुलार

भुला दे हर दुःख

चोट ओ हार

6

माता का ज्ञान

माँ प्रथम  शिक्षक

बच्चों की जान

7

घर की नींव

मकान   घर बने

लाये  करीब

8

त्याग  मूरत

हर दुःख  सहती

हो जो सूरत

9

प्रभु का रूप

सबका रखे ध्यान

स्नेह स्वरूप

10

घर की  धुरी

ममता दया रूपी

प्रेम से  भरी

11

आँसू बच्चों के

माँ ये देख न पाये

कष्ट  बच्चों  के

12

प्रेम निशानी

माँ जीवन दायनी

त्याग कहानी

*(ख)हमारे पिता।हमारे पालनहार।हाइकु*

1

पिता हमारे

संकट में रक्षक

ऐसे सहारे

2

पिताजी सख्त

घर    पालनहार

ऊँचा है  तख्त

3

पिता का साया

ये बाजार  अपना

मिले   ये  छाया

4

पिता    गरम

धूप में   छाँव जैसे

है भी   नरम

5

घर की धुरी

परिवार  मुखिया

हलवा पूरी

6

पिता जी माता

हमारे जन्मदाता

सब हो जाता

7

पिता साहसी

उत्साह का संचार

मिटे उदासी

8

पिता से धन

हो जीवन यापन

ऋणी ये तन

9

पिता कठोर

भीतर से कोमल

न ओर छोर

10

शिक्षा संस्कार

होते जब विमुख

खाते हैं मार

11

पिता का मान

न  करो अनादर

ये चारों धाम

*रचयिता। एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली* 9897071046/8218685464

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...