अर्जुन कहता"एक कुरुक्षेत्र मेरे अंदर भी है"
13.2.2021
मन के अंदर का झंझावत केशव
पूरा एक कुरुक्षेत्र मेरे अंदर भी है
ये खड़े हुए जो रणक्षेत्र में
सब मेरे मन के अंदर ही हैं ।
मार इन्हें रण जीत लिया तो
राज्य मैं पा जाऊँगा
पर हे केशव मार इन्हें मैं
अपने से गिर जाऊँगा ।
हँस केशव ने देखा अर्जुन को
बोले थोड़ा मुस्कुराकर
हे पार्थ, क्यों द्रौपदी भूल गए
जिसका अपमान भरी सभा हुआ ।
बैठे थे धुरंधर बहुत वहाँ
थे ओंठ सभी के सिले हुए
कोई पितामह था उनमें
और कोई गुरु महान वहाँ ।
सास ससुर सिंहासन बैठे थे
राज्य कर्मचारी सभी वहाँ
नहीं किसी के ओंठ हिले तब
तुम अपमानित झुके वहाँ।
राज्य के लिए नहीं लड़ो तुम
है अंदर जो कुरुक्षेत्र तुम्हारे
ज्वाला उसकी कुछ तेज करो
पति धर्म निभाओ अपना
और कुरुक्षेत्र को खत्म करो ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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