असली कोरोना योद्धा

 *इस कहानी को जरूर पढ़िए यह सत्य कथा नही साहस की पराकाष्ठा है इसे पढ़कर जो विचार उतपन्न हो उनको इस समूह में पोस्ट कर सकते है* https://chat.whatsapp.com/FBKTJoR6IJGF83FY8f9CIh


#शिव_का_आत्मबल l


हिंदी के कुलीन साधक आँशुकवि नीरज अवस्थी जी की नजर उसपर पड़ी पर पड़ी l उन्होंने मुझसे जैसा बताया था, वह बिल्कुल उतना ही अद्भुत, अनोखा, प्यारा था   l वह सिर्फ शरीर से ही सुन्दर, नहीं दिल से भी सुन्दर था   l शारीरिक बल की बात तो नही कह सकता हुँ, लेकिन उसके भीतर गजब का आत्मबल था   l रचनाकार  की   पुस्तक की कम्पोर्जिंग करने  के लिए उसे चुना गया, तो त्रुटियां ढूढ़ने और सही कराने का कार्य भी रचनाकार का ही हुआ lअब रचनाकार  शिव से संपर्क में था l जी मै बात कर रहा हुँ, उसी शिव की जिसका आत्मबल एक विशाल पर्वत की तरह है  l रचनाकार का  अगला प्रश्न था  कि कब मिलोगे बेटा? तो उसका उत्तर हुआ, सप्ताह में तीन दिन, और शेष दिन भी जरुरी हुआ तो चार बजे शाम के बाद l  तो फिर अन्य दिनों में क्या करते हो? बरबस मुख से निकल गया l  सर जी शेष तीन दिन डायालीसिस कराने जाता  हुँ, चेहरे पर ना कोई दबाव, ना कोई शिकन l मुँह से बरबस निकल गया.. वाह l आत्मविश्वास के चरम पराकाष्ठा को देखकर रचनाकार  एक दम अवाक, और स्तब्ध रह गया l  रचनाकार को  बिल्कुल विश्वास नही हो रहा था, जटिल गुर्दा रोग से पीड़ित शख्स का इतना मजबूत आत्मबल l

आर्थिक बेबसी किसी पहाड़ से कम नही है , मगर वह भी उसकेआगे नतमस्तक है, उसे तोड़ने की कोशिश कर रही होगी, लेकिन वह वज्र है, नही टूटेगा l उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  का आभार जिसका अंशदान इस  प्रदीप्त दीप लव को  जलाने के लिए  तेल सा हुआ l लेकिन उसकी  यात्रा लम्बी है,मंजिल अभी काफी आगे है, संघर्ष लम्बा था l खैर उसके प्रति रचनाकार के मन में दिनों दिन प्रेम बढ़ता गया l अक्सर रात को सोते वक्त जब नीरज जी से रचनाकार उसकी बात करता तो दोनों उसके प्रति विह्वल होकर कारुणिक भाव से भर जाते l दोनों साहियकार  अपने अपने अनुसार शिव का साहित्य अपने दिलों में रचते l

  अचानक शिव के एक फोन ने रचनाकार को डरा दिया l  शिव ने बताया कि सर जी, वह कोविड पॉजिटिव हो गया है l रचनाकार डर गया l उसके मन में अनेक अशांकाओ  ने जन्म ले लिया लेकिन शिव तो अब भी वैसा ही था l उसका आत्मबल आज भी उसके साथ था l वह लगातार बोले जा रहा था कि वह बस कुछ दिन पी जी आई में रहेगा और एक दो सप्ताह में स्वस्थ होकर आ जाएगा l लेकिन रचनाकार डरा था, क्योंकि वह साहित्यिकार के साथ साथ स्वास्थ बिभाग से जुडा भी तो था l लेकिन शिव किसी चिकित्सक से ज्यादा सजग और जानकर हो गया था l वह तो हर दिन मौत को मात देता और अपने को विजेता साबित करता l अगले दश दिनों में शिव ने करोना को भी मात दे दिया l रचनाकार रोज उसको फोन करता l उसका हाल चाल लेता l लेकिन एक दिन रात को आये उसके फोन से एक आवाज निकली, सर जी मैंने करोना को हरा दिया l मुझे आज विश्वास हो गया था कि मनुष्य हारता है हिम्मत नहीं l हिम्मत तो जीतती ही जीतती है l हम इस योद्धा की क्या मदद करेगे l ईश्वर उसकी मदद आगे बढ़कर कर रहा है l हाँ हमें उसके आत्मबल को बढ़ाने की आवश्यकता है और उसके लिए जन सहयोग , भी अपेक्षित है, l जो हमें देना है l अंत में एकबार फिर कहुगा, कि उसका आत्मबल मजबूत ही नही, वज्र सदृश है l

रचनाकार ने यह सब लिखते हुए मन में एक बार और सोचा कि आत्मबल से भरे योद्धा के साथ हमें चलना होगा, क्योंकि हमें  उसके आत्मबल को टूटने नही देना है  l हमें उसके आत्मबल का कीर्तिमान बनते देखना है l रचनाकार की  लेखनी और  शब्द उसके शॉप के प्रमुख को भी धन्यवाद दे रहे थे , जिसकी हथेली एक श्रेष्ठ संरक्षक की तरह उसे उठाये रखी थी l 

रचनाकार  और उसका  साहित्य इस योद्धा से असीम स्नेह करता है l इस लिए उसने उसे अपनी इस कथा का नायक चुना  और ईश्वर से प्रार्थना किया कि हे ईश्वर! आप मेरे शिव के आत्मबल को इसी तरह और अधिक  मजबूत किये रखना l


©®राजेश_कुमार_सिंह

लखनऊ, उप्र, ( भारत )

+91 94152 54888


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...