काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार जाकड़

 परिचय  

नाम-आशा जाकड़

जन्म स्थान-शिकोहाबाद

जन्म तारीख -10जून1951

शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी व समाजशास्त्र)बी.एड.

व्यवसाय-सेंटपॉल हा.से. स्कूल में 28 वर्ष अध्यापन  व सेवानिवृत्त।वर्तमान में लेखन।

प्रकाशन कृतियाँ- 5 पुस्तकों का प्रकाशन

                ..... .राष्ट्र को नमन(काव्य संग्रह)

               अनुत्तरित प्रश्न (कहानी संग्रह )

              नये पंखों की उड़ान(काव्य संग्रह)

            सिंहस्थ महोत्सव2016,(निबंध)

            हमारा कश्मीर।   ( काव्य संग्रह 

लगभग 90 पुस्तकों में कहानी ,कविताओं व समीक्षा आदि का प्रकाशन

 उपलब्धियाँ --काव्य रस की अध्यक्ष और अनेक साहित्यिक संस्थानों की सदस्या।

अहिसास संस्था की सलाह कार सदस्य

अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी परिषद की.इन्दौर जिला अध्यक्ष।

आकाशवाणी पर कविता ,वार्ता पाठ

 दूरदर्शन भोपाल से कविताओं का पाठ

लगभग 100,सम्मानों  से ,सम्मानित। फिल्म एसोसिएशन राईटर्स क्लब की सदस्य।


पता 747,सांईकृपा कोलोनी

      होटल रेडीशन के पास

    ..कुशाभाऊ ठाकरे मार्ग

     452010 इन्दौर म.प्र.

मोबाइल-9754969496


वैक्सीन ः दोहे


 करुना ने पीड़ा दई ,कबहु भूल ना पाय , 

वैक्सीन आगमन से ,कष्ट निवारण पाय।



वैक्सीन दवा आ गई तबहुँ आजाद न कोय,

 हाथ धोए दूरी रखियो गले न मिलियो कोय।


वैक्सिन ने आवत ही दुख को तमस भगाय,

खुशियन की लहरें दिखी हिरदै उमंग जगाय।


वैक्सिन  तो आय गई, आशा किरण लिवाय,

खुशीयाँ संग आय गई  जीवन आस जगाय।


वैक्सिन तो लगवइयों ,पर रहना सवधान,

भिड़- भाड़ से दुर रहियो जिवन होगो असान।


सब वैक्सीन लगइयो ,  करोना दूर भगाय,

डरन की कछु बात नहीं, इक दूजे कु बताय।


  जीवन हमरो   कीमती,  करोना  ने  बताय,

  वैक्सीन लगवा लियो अपनो जिवन बचाय।


आशा जाकड़

9754969496



वज्रपात


कोरोना तूने  कैसा किया वज्रपात 

पूरे विश्व  के बिखर गए पात- पात।


अचानक सारा मंजर थम गया 

लोकडाउन से हृदय धक रह गया

 बेमौसम  ही मौसम सर्द हो गया

 ऐसी बीमारी जिसका ना कोई इलाज 

करोना  तूने कैसा किया वज्रपात 


सब अचानक घर में कैद हो गए 

स्कूल कॉलेज सब बंद हो गए 

ऑफिस कार्य घर से शुरू हो गए

 बेचारे बच्चे घर में कर रहे उत्पात

करो ना तूने कैसा किया वज्रपात ।।


हर जगह सुनसान वीरान हो गए 

बाग बगीचे  सब मौन हो गए

 मानुष सूर्य दर्शन को तरस गए

 जानवर सड़कों पर करें  धमाल

 करोना तूने कैसा किया वज्रपात ।।


गरीब बेचारे बेरोजगार हो गए 

बेघर अपने गांव नगर चलेगए 

चलने से पैरों में छाले पड़ गए 

 भूखों को नहीं मिला दाल भात 

करो ना तूने कैसा किया वज्रपात ।


अनचाही पीड़ा का शिकार हो गए

 किसी के परिजन हॉस्पिटल चले गए 

पर परिजन के दर्शन को तरस गए

अंतिम न लगासके अपनो को हाथ 

करोना तूने कैसा किया वज्रपात।।


आशा जाकड़               24 नवंबर

9754969496





"गीता का सार"


गीता ज्ञान की ज्योति है 

गीता  है जीवन का सार 

जन्म मरण तो निश्चित है

छोड़ो क्रोध और अहंकार।


कर्म करो फल- चाह नहीं 

यही तो है  गीता का सार 

कर्म करना ही धर्म हमारा  

अकर्म नहीं  है अधिकार।


जबभी होवे धर्म की हानि 

और अधर्म की हो  वृद्धि 

तब कृष्ण धरती पे आते

करते धर्म  की  उत्पत्ति। 


सज्जनों  के उद्धार हेतु 

पापियों का नाश चाहिए

धर्म की स्थापना के लिए

कृष्ण प्रगट होना चाहिए।


जो ईर्ष्या- द्वेष न करता 

ना किसी की आकांक्षा

वही कर्मयोगी सन्यासी

जग -,बंधन मुक्त रहता।


जन्म मिला है मानव का

तो मरण भी  निश्चित है

अच्छे कर्म -  धर्म करो 

मानुष ही श्रेष्ठ जीवन है।


कर्म- क्षेत्र का ज्ञान देती 

गीता जीवन काआधार 

जीवन मूल्यों से परिपूर्ण

गीता है ज्ञान का भंडार।


जीवन तो ये  नश्वर है 

और आत्मा  है अमर 

निस्वार्थभाव सेवा करो 

जीवन जायेगा    तर।


आशा जाकड़    ..       .28नवम्बर

9754969496



"समरसता के मोती लुटायें"0०


आओ साथी हम सब मिलकर समरसता के मोती लुटायें


कर्म क्षेत्र से कभी न डिगना,

धर्म क्षेत्र में कभी ना झुकना।

चाहे  कितने  मुश्किल आए,

सत्य राह से कभी ना  हटना।

कोटि- कोटि कंठों  से हम पावन संदेश सुनाएं।

आओ साथी हम सब मिलकर समरसता के गीत सुनाए।।


 भेदभाव को दूर भगा कर,

 एकता का भाव सिखाएं।

 स्वार्थ निशा में सोए जग को,

 हम  परमारथ सिखलाएं ।

 सत्कर्मों से आज धरा को हम सब स्वर्ग बनाएं ।

आओ सखी हम सब मिलकर समरसता के मोती लुटाए।।


 मेहनत की तलवार लेकर,

 बंजर   में  फूल  खिलाए।

 हौसलों के पंख लगाकर, 

 मंजिल  पार   लगाएं ।

 सुप्त परिश्रम के भावों को हम फिर से आज जगायें। आओ साथीःःःःःःःःःः

कटुता की अंगार बुझा कर 

जनमानस में प्यार जगा दें

 दुश्मन आंख उठाए गर तो 

शांत सिंधु में ज्वार उठा दे

उर वीणा के तारों से हम गीता ज्ञान सिखाएं

आओ साथी हम सब मिलकर समरसता के मोती लुटायें।



आशा जाकड़

9754969496०



नारी तू नारायणी है 


नारी ही परिवार की शक्ति है 

नारी अपने कुल की लक्ष्मी है

नारी से ही रिश्तों की खुशी है

नारी में  ही भारतीय संस्कृति है 

नारी तू सचमुच नारायणी है।।



तू ही भक्ति है ,तू नर की शक्ति है,

तू ही त्याग , तपस्या की मूर्ति है

नारी में प्रेम , ममता की शक्ति है

तू ही दुनिया की अनुपम कृति है 

सच  में नारी तू ही नारायणी है ।।


 तू ही लक्ष्मी हैं , तू ही कमला है

 तू ही राधा है , तू ही तो सीता है 

 तू ही शारदा ,तू ही भगवद्गीता है 

 नारी में सृजन की अनुपम शक्ति है 

 नारी तू सचमुच  में नारायणी है।।


तू ही लक्ष्मीबाई है  तू दुर्गा बाई है

तू ही दुर्गा है और तू ही  भवानी है

 तू ही अहिल्या तू पद्मिनी रानी है

निज रक्षा हेतु जौहर की शक्ति है।

नारी तू सचमुच  में  नारायणी  है।


तू ही करुणामयी है ,तू  ही प्रेममयी है

तू ही वात्सल्यमयी.,तू ही कालजयी है,

नारी  ही पुण्य  है और आशीष मयी है

तुझ में माँ काली की संहारक शक्ति है।

  हे नारी तू सचमुच में  नारायणी है।।



आशा जाकड़ 


9754969496


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