होली!
आओ नफ़रत जलाएं होली में,
गिले -शिकवे भुलाएं होली में।
रूठ गए हैं अर्से से जो रिश्ते,
उन्हें बचाएँ इस होली में।
जिनके सजन परदेश में छाए,
उन्हें भी बुलाएँ होली में।
गोल गप्पे खाएं,रसगुल्ले खाएं,
गुझिया भी खाएँ इस होली में।
अबीर लगाएं, ग़ुलाल उड़ाएं,
तन- मन को मिलाएँ होली में।
ढोल की थाप पे थिरकें सभी,
प्यार बरसाएं होली में।
कब की प्यासी हैं नजरें उसकी,
चलो,अंगियाँ भिगोयेँ होली में।
यौवन- रस से झुक गईं डालें,
पियें - पिलाएं हम होली में।
भीगा ये मौसम, भीगी दुनिया,
खुशियाँ मनाएँ होली में।
तन को छुए भले पिचकारी,
पर मन भी भिगोए होली में।
फिर से वायरस का खतरा बढ़ा,
मास्क न हटाएँ इस होली में।
- रामकेश एम.यादव
(कवि, साहित्यकार),मुंबई
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