डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*पहला*-2
  *पहला अध्याय*(श्रीकृष्णचरितबखान)-2
बंदउँ मुनिवर बेदब्यासा।
लिखा भागवत ग्यान-प्रकासा।।
    सुमिरउँ सुचिमन ऋषि सुकदेवा।
     कथा क सार परिच्छित लेवा।।
सौनक-सूतहिं करूँ प्रनामा।
पुनि-पुनि सुमिरउँ तिन्हकर नामा।।
    करउँ प्रनाम जसोमति मैया।
    बाबा नंद, गाँव अरु गैया।।
गोपिन्ह,ग्वाला,सखा सुदामा।
प्रनमहुँ बलदाऊ बलधामा।।
   बिटप कदंब-कलिंदी-तीरा।
   बंसी-तान हरै जग-पीरा।।
गिरि गोबरधन अरु ब्रजबासी।
बाल-बृद्ध-जोगी-संन्यासी।।
    कंस औरु सिसुपाल समेता।
    दानव-दैत्य-असुर अरु प्रेता।।
जिन्हके कारन भे अवतारा।
लीला कीन्ह कृष्न जग सारा।
    सुधि मैं करउँ सबहिं चितलाई।
    भजि गोपाल-कृष्न-जदुराई।।
करउँ बंदना रुक्मिनि रानी।
राधा नाम सकल गुन-खानी।।
दोहा-सुमिरउँ मैं जदुबंस-कुल,जहँ प्रभु कै अवतार।
         बंदउँ माता-पितुहिं मैं, देवकि-बसु उर धार।।
                    डॉ0हरि नाथ मिश्र
                       9919446372

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