एस के कपूर श्री हंस

।रचना शीर्षक।।*
*।।कॅरोना,अभी जरा ठहर*
*जायो कि तूफान गुज़र जाये।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
हिम्मत रखना दिन वैसे ही
फिर गुलज़ार होंगें।
बीमारी से दूर फिर शुभ
समाचार होंगें।।
दौर पतझड़ का आता है
बहार आने से पहले।
पुराने दिन फिर वैसे ही
बरकरार होंगें।।
2
लौटकरआ जाएंगी खुशियाँ
अभी कठिन वक़्त है।
यह कॅरोना ले रहा जरा
परीक्षा सख्त है।।
समय से लें दवाईऔर ऊर्जा
बढ़ायें अपनी।
इस कॅरोना के खूनी पंजों
में लगा रक्त्त है।।
3
जान बाजी लगा निकलने
की जरूरत नहीं है।
यूँ ही चितायों में जलने
की जरूरत नहीं है।।
भयानक मंजर खूनी खंजर
है इस कॅरोना का।
लापरवाही से काम लेने की
जरूरत नहीं है।।
4
जरा सा ठहर जायो कि
तूफान गुजार जाये।
इस दूसरी लहर का ये नया
उफ़ान गुज़र जाये।।
यूँआँधी में बेवजह निकलना
नादानी होती है।
हम सब निखर कर आयेंगें
ये मुकाम गुज़र जाये।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                    8218685464

।।ग़ज़ल।।संख्या 89।।*
*।।काफ़िया।। ऊर ।।*
*।।रदीफ़।। न बन जाये।।*
1
देखना कि कोई ज़ख्म नासूर न बन जाये
बिना वजह कोई बात कसूर न बन जाये
2
लाज़िम कि बोलें हर बात सोच समझ के
कोई बात यूँ ही बेहूदा शहूर न बन जाये
3
दिल दुखाने का किसी को अख्तियार नहीं
चाहे कोई कितना भी क्यों मशहूर न बन जाये
4
धन दौलत यह सब तो आनी जानी माया है
रखना ध्यान कि अंदर तेरे गरूर न बन जाये
5
दिलों से दिलों की तुरपन हमेशा करते रहना
देखना कि तेरे सामने कोई मजबूर न बन जाये
6
बच्चों को भी हर बात खूब सिखाते रहना
अपने पैरों खड़े होने को भरपूर न बन जाये
7
दोस्ती हर दोस्त से निभायो कुछ इस हद तक
आपके दरमियाँ महोब्बत का सरूर न बन जाये
8
*हंस* कोशिश करते रहो हर दिन अच्छा बनने की
जब तक अंदर अच्छा इंसान जरूर न बन जाये

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                    8218685464

*।।रचना शीर्षक।।*
*।।कॅरोना   सावधानी हटी*
*दुर्घटना घटी।।*
*।।विधा।।हाइकु।।*
1
यह   कॅरोना
दूर दूर रहना
पर    डरोना
2
ये    जानलेवा
बाहर न घूमना
पत्नी हो बेवा
3
समझदारी
दो गज़ की हो दूरी
ये जिम्मेदारी
4
खतरनाक
वायरस अदृश्य
हो अचानक
5
बचके यार
सदी में एक बार
रोग दुश्वार
6
कॅरोना रोग
क्षमता   बढ़ाइये
छोड़िये भोग
7
रोग भगाना
बाहर   निकल न
हमें जगाना
8
ये महामारी
दूर   रहो    इससे
हल बीमारी
9
कॅरोना चाल
तोड़नी है श्रृंखला
हो अच्छा हाल
10
ये है वैश्विक
साथ दो ओ साथ लो
न हो ऐच्छिक
11
अदृश्य अणु
अंजान    शत्रु     यह
रोगी  विषाणु

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।।।     9897071046
                     8218685464

[28/04, 8:33 am] +91 98970 71046: *।।रचना शीर्षक।।*
*।।कॅरोना महामारी, रुकना घर*
*में ,तेरी हार नहीं जीत है।।*
*।।विधा ।।मुक्तक।।*
1
रुकना घर में तेरी हार
नही जीत है।
यह कॅरोना नहीं तेरा
कोई मीत है।।
चोट देनी है इस दुश्मन
को बहुत करारी।
दुश्मन अनदेखा छिपकर
लड़ो यही रीत है।।
2
दो ग़ज़ की दूरी मास्क है
जरूरी प्रमुख गीत है।
जरा सी असावधानी से
जीवन जाता बीत है।।
सब्र का फल समस्या का
हल निकलेगा जरूर।
इस धैर्य में ही अंतर्निहित
जीवन संगीत है।।
3
आज वक़्त बुरा है दौर यह
कल गुजर जायेगा।
दवाई से हालात जरूर ही
अब सुधर जायेगा।।
वक़्त रहते जो हम चेत गये
तो जान लीजिए।
खत्म इस दुष्ट कॅरोना का 
हो सफर जायेगा।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                    8218685464
[28/04, 8:33 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।। संख्या 88।।*
*।।काफ़िया।। अना।।*
*।।रदीफ़।। चाहिये।।*
1
आँधियों में भी ये चराग जलना चाहिये।
हर दिल में जज्बा हमेशा पलना चाहिये।।
2
हाथ छूना नहीं और साथ छोड़ना नहीं।
ख्याल सबकाअभी यूँ रखना चाहिये।।
3
खैरियत इसी में कि जरा घर में टिको
अभी यूँ बेवजह नहीं निकलना चाहिये।।
4
अभी शहर का मंजर कुछ जुदा जुदा सा है।
जरा रखो सब्र कि दौर गुज़र जाना चाहिये।।
5
अनदेखा अनजाना सा यह कोई वायरस है।
लड़ने को भी दुश्मन जाना पहचाना चाहिये।।
6
कदमों का रुकना मजबूरी नहीं जरूरी है।
यूँ ही दुश्मन को घर अपने नहीं बुलाना चाहिये।।
7
*हंस* फिर वैसी ही जिन्दगी हमारी मुस्करायेगी।
अभी मिलकर इस कॅरोना को हराना चाहिये।।

*रचयिता।।एस के कपूर" श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                    8218685464
[28/04, 8:33 am] +91 98970 71046: *।।रचना शीर्षक।।*
*।।कॅरोना महामारी, आज का*
*प्रयत्न दुनिया को सुनहरा*
*कल देगा।।*
*।।विधा।। मुक्तक।।*
1
क्यों यूँ ही जिन्दगी का 
जुर्माना भरना है।
क्यों जानते हुए कदम
बाहर धरना है।।
जान लीजिए कि जान
है तो है जहान।
क्यों कॅरोना की कड़ी
मजबूत करना है।।
2
अभी तक संबको लग रही
ये दवाई है।
तबतक पालन करना अभी
जरूरी कड़ाई है।।
आज वक़्त बुरा कल अच्छा
भी जरूर आयेगा।
किसीसे अभी न मिलो छिपी
सबकी भलाई है।।
3
आज का धीरज कल संतोष
का सुफल देगा।
इस बीमारी का उचित निदान
और हर हल देगा।।
प्रकृति से जुड़े और प्रतिरोधक
क्षमता को बढ़ायें।
हमारा आज का प्रयत्न दुनिया
को सुनहरा कल देगा।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
                      8218685464

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