।।ग़ज़ल।।संख्या 85।।*
*।।काफ़िया।। आर ।।*
*।।रदीफ़।। बने ।।*
1
रुक कर घर में जीत के दावेदार बने
सावधानी का दूसरों को इश्तिहार बने
2
सलीकाअभी जीने का कुछ बदलना पड़ेगा
आप इस मुसीबत में इक़ सिपहसालार बने
3
ऐसी क्या मजबूरी जिन्दगी से ज्यादा जरूरी
क्यों अपनों के लिए ही आप सितमगार बने
4
खुद से खुद पर ही लगाओ जरा पाबंदी
आप खुद से ही जरा अपनी सरकार बने
5
यह जान लेवा खूनी महामारी बीमारी में
जरा हुकूमत के आप भी इक़ मददगार बने
6
क्या जरूरी है बेवजह बाहर घूमना फिरना
आप इस कॅरोना कड़ी तोड़ने के सरदार बने
7
इस मुश्किल घड़ी मेंअदा करना है फ़र्ज़ अपना
मत आप यूँ इंसानियत के कर्जदार बने
8
यह वक़्ती बीमारी चाहतीआपकी जिम्मेदारी
बन कर समझदार आप देश के वफादार बने
9
*हंस* आपको अदा करनी अपनी पूरी अक्लमंदी
इस खूनी कॅरोना रोकने की आप इक़ दीवार बने
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
8218685464
।।रचना शीर्षक।।*
*।।कॅरोना संकट।।घर में रहना*
*ही आज की, सबसे बड़ी*
*सच्चाई और जरूरत है।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
वजह बेवजह हाथों को
धोते ही रहिये।
घर पर ही काम करतेऔर
सोते भी रहिये।।
यही तो ज़रूरत है आज
की सबसे बड़ी।
सावधानियों से लगातार
परिचित होते रहिये।।
2
घर पर ही टिके रहने में
ही बहुत भलाई है।
इस कॅरोना काल में जीवन
में उधड़ी हुई सिलाई है।।
यह दौर नाज़ुकऔर कटेगा
बस बचाव से ही।
यही ध्यान रहे कि समय से
लेनी संबको दवाई है।।
3
इक बात कॅरोना ने सभी
को सिखलाई है।
प्रकृति से नाता जोड़ने की
राह दिखलाई है।।
धन अर्जन से भी अधिक
जरूरी स्वास्थ्य रक्षा।
इस महामारी ने बात ये खूब
ही बतलाई है।।
*रचयिता।एस के कपूर"श्री हंस*"
*बरेली।*
मोब। 9897071046
8218685464
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