नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

अविनि की पुकार

पृथ्वी कहती है मानव
मैं तेरी जननी माँ जैसी
माँ तो सिर्फ नौ माह कोख
में रखती ।।
अविनि मैं जीवन भर
तेरा पोषण लालन पालन
करती तू मेरे बक्ष को
चीरता अन्न दाता कहलाता।।
जब भी चीरता मेरा बक्ष
असह वेदना सहती 
फिर भी कुछ ना कहती
जल वन पहाड़ मेरे ही
श्रृंगार।।
मांग उजड़ जाती माँ की
करते चीत्कार 
मेरी सोलह श्रृंगार जल 
वन पहाड़ बृक्ष आधार।।
अंधा धुंध रोज काटते हरियाली
मेरी मुझको पल प्रहर
करते तार तार।।
जल मेरा अस्तित्व 
प्राण जल का करते
दुरपयोग आने वाली
तेरी ही पीढ़ियां जल
जीवन के लिये
युद्ध लड़ेगी अब दिन
बहुत नही दूर।।
मैं अविनि मेरी ताकत
शक्ति को छीन रहे हों
पल पल मैं हो रही कमजोर।।
ऋतुएं मौसम मेरे कर्म धर्म
ऋतुओं मौसम ने भी
लिया मुझसे ही मुहँ मोड़।।
मैं नही चाहतीं की तेरा
अहित हो मैं बेवस लाचार।।
जीव जंतु जो पृथ्वी
प्राकृति के प्राण आधर
जंगल काट काट कर
कर दिया उनको विलुप्त बेघर।।
विलुप्त हो गयी जाने
कितने ही प्राणि अब
इतिहास के पन्नो दादी
नानी के किस्सों में मशहूर।।
मानव मैं पृथ्वी अविनि धारा
करती हूँ तेरा आवाहन
 मेरा संरक्षण संवर्धन
तेरा सर्वोत्तम भविष्य वर्तमान।।
ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण
जल प्रदूषण प्रदूषण से
सांसत आफत में मेरा
अस्तित्व प्राण।।।                    

अविनि
तेरी जननी जैसी कर 
मेरा उद्धार लाज बचाओ
मेरी मैं तेरे माँ जैसी सुन
रही पुकार।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 
गोरखपुर उत्तर प्रदेश

किताब---

किताब काल तिथि वर्तमान
पुस्तक पूर्ण वास्तविक युग
दर्शन होती ना किताब युग
होता स्वयं सेअंजान।।
संस्कृति संस्कार सभ्यता 
अतीत वर्तमान ना होता धर्म
कर्म का कोई युग यथार्थ
किताब वक्त काल का दर्पण
पहचान।।
गीता ,कुरान ,बाइबल ,गुरुबानी
किताब हाथ रख कर सच्चाई
की कसमें खाता मानव मर मिटता
किताब ही जीवन मूल्य मर्यादा 
मान।।
किताब ज्ञान का दीपक किताब
अन्वेषक आधार किताबों से ही
निकला ना जाने कितने शोध 
साक्ष्य का सत्य विज्ञान।।
किताब से युग काल का शुरू अंत 
जीवन कदमो का दिया चिराग किताब
पद चाप किताब  निश्चय दिशा प्रवाह किताब।।
किताब कर्म की जननी धर्म धैर्य
आस्था विश्वास किताब प्रेरणा प्रेरक
किताब युग सत्य मर्म का साक्ष्य।।
किताब सुरक्षित युग काल सुरक्षित
वर्तमान अतीत का भाव मूल्य 
अर्थ भविष्य का मार्ग अक्षुण अक्षय
भविष्य का मार्ग सुरक्षित।।
संविधान किताब जिसकी
शपथ लेता राजा राज्य प्रधान
संसय भय का निर्णय किताब
किताब युग काल समय की
परिभाषा हिसाब।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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