सुनीता असीम

इक बार कृष्ण मेरी     गुज़ारिश तो देखिए।
बस आपको रिझाने की कोशिश तो देखिए।
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हो दर्द की लहर या सुखों की फुहार हो।
पर नाम की तेरे ही निबाहिश तो देखिए।
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मैं डूबती  दुखों  में   हमेशा   रहूं  कहो।
इक बार मुझ गरीब की गर्दिश तो देखिए।
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कितना बुझाओ अग्नि विरह बुझ नहीं सकी।
बुझती हुई सी राख में आतिश तो देखिए।
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दिल की धरा थी सूखी था वीरान सा जहाँ।
उसपर हुई है नाम की बारिश तो देखिए।
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सुनीता असीम
२७/५/२०२१

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