सुनीता असीम

दूरियां कितनी सही उनसे मुहब्बत है तो है।

दिल के मेरे जो खुदा उनकी इबादत है तो है।

****

देखना तिरछी नज़र से फेर लेना फिर नज़र।

श्याम की तिरछी निगाहों में शरारत है तो है।

****

लब पे है इनकार पर इकरार नज़रों में रहे।

दिल में उठती आज अपने इक बगावत है तो है।

****

बस मनाना रूठना ही प्यार का किस्सा रहा।

फिर भी हमको प्यार उनसे ही निहायत है तो है।

****

रीत दुनिया की निभानी दिल न लेकिन साथ दे।

प्यार में तेरे मरूं दिल की इजाजत है तो है।

****

सुनीता असीम

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...