निशा अतुल्य

राधे राधे 
बुद्ध पूर्णिमा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 
इस दिन पर अभी लिखी रचना आप सबके लिए बताइए जरूर क्या ठीक लिखा ?

26.5.2021
*बुद्ध पूर्णिमा पर समर्पित यशोधरा को*

बुद्ध हो ना कहाँ आसान था सिद्धार्थ का
तो क्या यशोधरा होना सहज था नारी स्वभाव का ।

सब त्यागना अगर आसान न था सिद्धार्थ का 
तो कर्मों का कर निर्वहन तपस्वनी जीवन जीना क्या आसान था यशोधरा का ।

पुत्र का त्याग 
कहाँ आसान था सिद्धार्थ के लिए,
मगर राज्य को संभालना शिशु के साथ
क्या बहुत आसान था यशोधरा के लिए।

सच में सिद्धार्थ का बुद्ध होना आसान न था
पर कोई यशोधरा बन हो जाये स्वतः ही बुद्ध तो 
बुद्ध को आना पड़ता है लेने स्वीकृति सन्यास की ।
और यशोधरा अनजाने ही बन जाती है गुरु, दे स्वीकृति सन्यास की ।

स्वमेव पुत्र सहित करती गमन 
बुद्धम शरणम गच्छामि ,
बुद्धम शरणम गच्छामि 
ये ही उत्कृष्टता बन जाती है,
नारी भाव की ।।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...