अमरनाथ सोनी अमर

गीत-                                 आज हमारी भारत माँ, अवसाद में डूबी है! 
चिन्ता उनके परिवारों के, प्यार में डूबी है!! 

कैसे भारत बचे काल से, नापाक जरूरी है! 
शुद्ध होय  यह हवा तो कैसे, जीत जरूरी हो!! 

सेना के जवान हमारे, माँ रक्षा करतें हैं! 
ए गद्दार सभी ने मिलकर, माखौल उडा़तें हैं!! 

सरकारें जो बैठी कुर्सी, गीत तो गाती है! 
जनता का  धन लूट के खाते ,  बीन बजातें है!! 

बेचारी जनता रोती है, कोइ ना सुनतें है! 
जनता अपने मतों को देकर, कुर्सी सौपी है!! 

सुने नहीं कोई सरकारें, मस्त तो रहती है! 
सांप नाथ जब चले गये तो, काल आ जातें हैं!! 

मजबूर हो गयें  जनों मन, आटा सम पिसतें है!
कोई नहीं तो बनें सहारा, दुख ना सुनतें है! ! 

अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...