अमरनाथ सोनी अमर

कुण्डलिया- आनंद! 

आये जब मेरे गृहे, अतिथि अरू दिलदार! 
अति मिलता आनंद है, मन खुश होयअपार!! 
मन खुश होय अपार,अतिथि मेरे घर आये!
हम करते व्यवहार,खुशी मन अति हो जाये!! 
अमर कहत कविराय, मनुज का हम तन पाये! 
स्वागत मेरा  धर्म, हमारे जो गृह आये!! 

अमरनाथ सोनी" अमर "
9302340662/

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