निशा अतुल्य

बलिदान दिवस 
महारानी लक्ष्मी बाई 

नहीं दूँगी मैं 
सिंहनी दहाडी थी
अपनी झांसी ।

लड़ी मर्दानी
बच्चे को बांध पीछे 
अमर हुई ।

धोखे बाज थे
दुश्मन थे अंग्रेज 
गद्दार सारे ।

बनाई सैना
महिला लड़ाका की
नहीं मानी हार ।

दौड़ता अश्व
बिजली तलवार 
चलाती रानी।

निःशब्द रहे
अंगुली दांतो तले
दबा अंग्रेज ।

अंतिम युद्ध
ग्वालियर में लड़ा
अमर हुई ।

नमन तुम्हें
हे वीरांगना रानी
है श्रद्धांजलि ।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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