सुधीर श्रीवास्तव

हाइकु 34
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सुख
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दु:ख ही सुख
का आनंद जगाता
अच्छा लगता।
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सुख आयेगा
दु:ख से डरो नहीं,
जीवन चक्र।
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सुख से जिए
अभिमान न करें
यही रीति है।
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 हारना नहीं 
दु:ख तो परीक्षा है
सुख के लिए।
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घमंड कैसा
आज आप सुखी हो
कल मैं सुखी।
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भेद न करो
सुख दु:ख सहना
हमको ही है।
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दु:ख के पल
स्थाई नहीं रहेंगे
सुख आयेगा।
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सुख दु:ख तो
चोली दामन जैसा
आता जाता है।
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◆ सुधीर श्रीवास्तव
      गोण्डा, उ.प्र.
   8115285921
©मौलिक, स्वरचित

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