अमरनाथ सोनी अमर

मुक्तक-अंतर्राष्ट्रीय  नशा दिवस! 

नशा -नाश का जड़ है प्यारे! 
कभी नशा मत करो  दुलारे! 
नशा किये सब होता चौपट! 
मेरी  बात  समझ लो प्यारे!! 

नशा उसी का  नाश करे  वह! 
बीबी -बच्चा   को   बेचे  वह! 
इज्जत, धन  की ना  परवाहें! 
भीख माँगता गली- गली वह!! 

तन - मन उसका भ्रष्ट हुआ है! 
इज्जत ,पर्दा   नहीं    पता   है! 
अपना  नहीं    पराया   समझे! 
मर्यादा    सबका    लेता    है!! 

अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...