डॉ. अर्चना दुबे रीत

*दोहा - पिता*

प्रथम पाठशाला बनी, माँ को करो प्रणाम ।
पिता हमारे पूज्य हैं, पहले उनका नाम ।

पिता हाथ सिर पर रहे, दुनिया में सब मीत ।
पिता सिखाते हैं सदा, काम करन की रीत ।।

मात पिता जब साथ हो, खुशियों का संसार ।
दोंनो के अनुभव सदा, हमको मिले अपार ।

मात पिता सन्तान के, होते हैं भगवान ।
सिखलादे सन्तान को, बन जाये गुणवान ।

मात पिता रक्षक बने, खुले नसीब हमार ।
जिनके पास मात पिता, सुखमय हो परिवार ।।

*डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'*

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