अमरनाथ सोनी अमर

गीत- बिरह बेदना! 

14,12 मात्रा भार!

आ गया सावन सुहाना, मीत ना हैं क्या करूँ! 
दिल हमारा भंग होता, प्रीत किससे क्या करूँ!! 

अंग मेरा टूटता है, दर्द उठता है बदन! 
होय कैसे यह  दवाई, ना बलम अब क्या करूँ!! 

दिन गुजारा हो हि जाता, रात ना गुजरे सनम! 
रात बहु हमको सताती, अब न गुजरे क्या करूँ!! 

आय सावन काल मेरा, जान जोखिम में जुलुम! 
पड़ गयें हैं प्राण संकट, ना उबर अब क्या करूँ!! 

आय दुश्मन काल मेरा, जाय कैसे बेहया! 
कुछ सकुन यदि मुझ मिले तो, जाय कैसे क्या करूँ!! 

अमरनाथ सोनी" अमर "
9302340662

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