देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

.................मुहव्वत के खत..............

दिल को  सुकून  मिलता , तेरी पनाह में।
खत को मजबुन मिलता,तेरी पनाह  में।।

दौड़ना  पड़ता है , चारों तरफ  ही मगर ;
मन को  जुनून  मिलता , तेरी पनाह में।।

कोशिश  करता हूं , हर राग  बजाने की ;
गीतों  को धुन  मिलता , तेरी  पनाह में।।

परेशानियों से होती है मन में चिंता मगर;
चिंता  को  घुन  लगता , तेरी  पनाह में।।

लाख  जलजले  दिख जाएं , निगाहों में;
मरघट देहरादून लगता , तेरी पनाह में।।

मुफलिसी ने बदन से निचोड़ लिए सब ;
दिल  को खून  मिलता , तेरी पनाह में।।

आलमारी में रखे पुराने खत देते'आनंद'
मिलते संतोष , प्रसन्नता,तेरी पनाह में।।

---------देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

.................मुहव्वत के खत..............

दिल को  सुकून  मिलता , तेरी पनाह में।
खत को मजबुन मिलता,तेरी पनाह  में।।

दौड़ना  पड़ता है , चारों तरफ  ही मगर ;
मन को  जुनून  मिलता , तेरी पनाह में।।

कोशिश  करता हूं , हर राग  बजाने की ;
गीतों  को धुन  मिलता , तेरी  पनाह में।।

परेशानियों से होती है मन में चिंता मगर;
चिंता  को  घुन  लगता , तेरी  पनाह में।।

लाख  जलजले  दिख जाएं , निगाहों में;
मरघट देहरादून लगता , तेरी पनाह में।।

मुफलिसी ने बदन से निचोड़ लिए सब ;
दिल  को खून  मिलता , तेरी पनाह में।।

आलमारी में रखे पुराने खत देते'आनंद'
मिलते संतोष , प्रसन्नता,तेरी पनाह में।।

---------देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

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