नंदिनी लहेजा

फैशन

माना भारत देश हमारा बढ़ा रहा,
विकास की तरफ अपने कदम
हर क्षेत्र में स्वतः को पहचान दिलाता,
कह रहा 'हम न किसी से कम'
विकासशील से विकसित देश कहलाने,
 हम कर रहे अथक परिश्रम
परन्तु प्राचीन सभ्यता व् संस्कृति,
अपने भारत की शायद भूलते जा रहे हम
पाश्चात्य का प्रभाव पड़ा कुछ ऐसा मानव,
मद विलास के अंध में खोता जा रहा
भूल अपनी सभ्यता संस्कृति,
फैशन के लिए मतवाला सा हो रहा
हम यह ना कहते कि,
 फैशन के खिलाफ हम सारे हो जाये
पर तय करें अपने गरिमा की सीमा रेखा,
ताकि अश्लीलता से हम बच जाएँ

नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक एवं  अप्रकाशित

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...