नूतन लाल साहू

बादल और बारिश

उठता है तूफान जब सागर में
और हिल उठे जिससे समुंदर
हिल उठे दिशी और अंबर
करता है मानों इशारे
उच्चतम नभ के सितारे
छा जावेगी आकाश में बादल
और होने वाली है बारिश
बरसात की आती हवा
जब खेलती है
आकाश से पाताल से
अति क्रुद्ध मेघों की कड़क
अति क्षुब्ध विद्युत की तड़क
करता है मानों इशारे
होने वाली है घनघोर बारिश
काले घनो के बीच में
काले क्षणों के बीच में
भू के हृदय की हलचली
नभ के हृदय की खलबली
ले सप्त रागों में चली
करता है मानों इशारे
छा जावेगी आकाश में बादल
और होने वाली है बारिश
बनता है सागर में जब
कम दबाव का क्षेत्र
करता है मानों इशारे
मौसम चाहें जो भी हो
गर्मी का ढंड का या बारिश का
छा जावेगी आकाश में बादल
और होने वाली है बारिश

नूतन लाल साहू

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