तृप्ति विरेंद्र गोस्वामी काव्यांशी

विषय- करो योग रहो निरोग

पहला सुख निरोगी काया   
         स्वास्थ हमारी अनमोल माया
मानव की यह अमुल्य सम्पति            
          जीवन की यही शीतल छाया

स्वास्थ हमारा सुख अवलंब
             सुख में पनपें ढेरों आशा          
आशाओं में आश्रित सफलता  
             स्वास्थ मनुष्य को नहीं हताशा

प्रतिदिन करें योग प्राणायाम
              स्वास्थ हेतु उचित व्यायाम
सदा करें संतुलित आहार
              प्रात:काल हो या हो शाम

जल्दी सोकर उठना जल्दी
              रहो स्वस्थ आये स्फूर्ति
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन
              रोग बचाव की अद्भुत शक्ति

प्रसन्नता ही स्वास्थ्य आधार 
               मुदित मन और शुद्ध विचार
स्वस्थता ही संपूर्णता
               हर्षित मन से करों स्वीकार
        
                         स्वरचित
            तृप्ति विरेंद्र गोस्वामी "काव्यांशी"  
                    जोधपुर राजस्थान

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