जयप्रकाश चौहान अजनबी पता -जिंदोली ,तहसील-मुण्डावर ,अलवर (राजस्थान) -अपने -पराये

नाम :- जयप्रकाश चौहान *अजनबी *


पता:-
       ग्राम पोस्ट ऑफिस -जिंदोली
      तहसील-मुण्डावर
      जिला -अलवर (राजस्थान)
       पिनकोड नम्बर :-301404


सम्पर्क सूत्र:-9672172698...1
                  6378046460...2


शीर्षक:--अपने -पराये


आजकल औपचारिक ही रह गए हैं अपने,
जैसे रात को हम नींद में देखते हैं सपने।
वैसे दिखाते बहुत है अपनापन का भाव,
जरूरत पर लगाते है शब्दों का आडम्बर जपने।


अपने वो जो हर समय पर काम आये,
वो नही जो विपत्ति में भी कन्नी काट जाये।
जो देते है अक्सर प्रतिकूलता में धोखा,
वो नाम के अपने वैसे होते हैं पराये।


अपनत्व में हमेशा होती हैं भरपूर समाई,
ना हो जिनमे कभी मतभेद व लड़ाई।
जरूरी नहीं कि वो हो अपने समाज का,
वे लोग ही करते हैं एक-दूसरे की भलाई।


जीवन में मैंने अपने भी बहुत देखे ,
जीवन में मैंने पराये भी बहुत देखे।
जो देते है सम्बल हमेशा सुमार्ग का ,
बस वो शख्स ही होते हैं सगे भाई सरीखे।


आजकल के दौर में अपना -अपना ना रहा,
जो था प्यार समाज में अब वो प्यार ना रहा।
पहले जैसा सा  पक्का वो ईमानदार ना रहा,
शीत में तपते थे जो हाथ वैसा अब तपना ना रहा।


जयप्रकाश चौहान *अजनबी*


तरीके हैं मेरे पास ऐसे पचास
मेरा नाम हैं * जय प्रकाश *


बचपन से पाला मुझे आशीर्वाद दिया पूरा।
पिता हैं सोनाराम ,माता हैं मेरी कश्मीरा।


जहाँ पर मैंने पहली बार अपनी अखियाँ खोली।
वो मेरा छोटा सा गाँव हैं मेरी जन्मभूमि जिंदोली।


वैसे दिखने में बहुत सीधे - सादे हैं हम,
शब्द बाणों से दिखाते हैं अपने तेवर।
जो दादा अलीबक्स की कर्मभूमि ,
वो  तहसील   हैं   मेरी  मुण्डावर।


साहित्य प्रेमी तो हम हैं ही,
अपने जिले के हैं हम लवर।
हैं जो राजस्थान का सिंहद्वार,
वो ही जिला हैं मेरा " अलवर"।


देश की आन,बान, शान
और  शूरवीरों को  खान।
जहाँ की सुनहरी धरती ,
वो राज्य है मेरा "राजस्थान"।


विभिन्नता में एकता हैं जिसकी विशेषता,
भिन्न- भिन्न बोलियों का हैं जहाँ परिवेश।
हिमालय जिसका मस्तक विदेशी भी देते दस्तक,
हैं जो बहुत महान वो हैं मेरा "भारत देश"।


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*


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