नारी सशक्तीकरण पर मेरा एक और छन्द।
कौन कहता है नारी अबला रही सदैव,
नारियों की शक्ति को है जग पहचानता।
चाहें लक्ष्मीबाई हो चाहें झलकारी बाई,
रानी दुर्गावाती को कौन नहीं जानता।
रानी पद्मा समान यहाँ पर नारियां है,
सारा विश्व नारियों के शौर्य को बखानता।
हाड़ा रानी के समान कोई हुआ ही नही है,
भारतीय नारियों का जग लोहा मानता ।।
रचनाकार
डा0विद्यासागर मिश्र"सागर"
सीतापुर/लखनऊ
उ0प्र0
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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