एस के कपूर श्री हंस बरेली।

*विविध हाइकु।।।।।।।।।*


क्यों कैसे जाने
सुन के नहीं    देखें
तभी ही माने


अनजाने  में
गलती हो जाये तो
क्षमा मांग लें


जीवन डोर
प्रभु के हाथ छोर
न उसे छोड़


ये बचपना
जीवन का ये हिस्सा
एक सपना


रिश्तों के धागे
रखना   संभाल के
प्यार हैं   मांगे



वो जो थे हीरो
वक़्त  की  मार से
बनते   जीरो


*रचयिता।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।।।।।।बरेली*
मोब        9897071046
              8218685464


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