गंगा प्रसाद पाण्डेय भावुक

जिन्होंने जानें लुटायीं 
यहाँ गरियाये गये।


बटवारे के जिम्मेदार
नोटों पे छपाये गये।


आजादी के दीवाने
फांसी पे चढ़ गये।


जयचन्दों की चांदी
मालामाल हो गये।


शहीदों के परिवार
देखो तंगहाल हो गये।


भाई चारे की आड़
हम चारा बन गये।


देश भक्त सारे
छुहारा बन गये।


देश द्रोह उगल के
यदि दिल्ली जीत गये।


समझो कब्र के सारे
हत्यारे जग गये।।।


भावुक


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