प्रतिभा प्रसाद कुमकुम

,            *प्रतिभा प्रभाती भाग //२//* 
-------------------------------------------------------------------------
दीपों सी जगमग आलोकित , आज प्रभाती आई  ।
खुशियाँ लाई संग संपदा , घर की तमस हटाई  ।
पटल के सारे मित्रों को भी , वंदन नमन कहाई ।
नेह नमन के साथ मैं कहती  , गंध बाग की लाई ।
पावन परम सुगम्य रोशनी ,  दीपों  ने  फैलाई ।
नेह नमन  स्वीकार करें अब ,  पावन परम प्रभाती  ।
पुण्य नेह सौगातें लाई  , धरम सनातन थाती   ।।



🌷 प्रतिभा प्रसाद कुमकुम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...