कैलाश , दुबे ,

जो मेरा कातिल है ,
बो मेरे पास रहता है ,


कहता नहीं मुझसे कुछ ,
पर आसपास कहता है ,


बड़े जतन से पाया है मैंने उसे ,
अब मेरे पास हमेशा रहता है ,


कैलाश , दुबे ,


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...