कैलाश , दुबे , होशंगाबाद

मेरे गुनाहों की सजा मुझे रब न देना ,


वक्त आ जाये गर तो बक्श देना ,


गुनाह कर चुका हूँ मैं भी कई मर्तबा ,


पर गिनना मत सारे के सारे छोड़ देना ,


कैलाश , दुबे ,


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