कुमार कारनिक  (छाल, रायगढ़, छग) """""


   मनहरण घनाक्षरी
           *भूख*
            """"""
भूख   से  बेहाल  लोग,
हुए     तंगहाल    लोग,
सपने     संजोए    हुए,
       कहना जरूरी है।
🌸🌼
पेट की  आग  के लिए,
मासूम  बच्चों  के लिए,
जिस्म  नीलम  हो रही,
         मेरी मजबूरी है।
🏵😌
सीख  देते   सारे  जहां,
काम   लेते  यहां  वहां,
हे   नजरों   से   देखते,
       बात जरा बूरी है।
💫🌸
खून   पसीना   बहाएं,
इज्ज़त की रोटी खाएं,
ईश्वर   के   गुन   गाएं,
       चिंतन जरूरी है।
          
             🙏🏼
                 *******


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