लता प्रासर

*फागुन मास का स्वागत*


गुनगुनाती कनकनाती हवा लड़खड़ाती हुई
दिन रात बहकाती सबको
अठखेलियां करती हुई
जब से फागुन मास आया सबका हुलास बढ़ाती
मौसम का मिजाज बदलती इठलाती हुई!
*लता प्रासर*


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