मासूम मोडासवी

उसूलो पण हवे देखावने खातर धरी जाणे,
जगावी मोहमायाना बधां नाटक करी जाणे


अधर पर वात मीठी भाव हसता राखतो मानव
वचनमां वातमां बंधाइने पाछो फरी जाणे


तमे जो साथ आपो तो तमारो हाथ झालीने
धकेलीने बधुं पाछण बहुं आगण वधीजाणे


थयेला कामनो पडघो वधु पाडी जमानामां
चडावी नाम पोतानां दबाणो आदरी जाणे


वधारी भेदभावोने परस्पर  फूट  नाखीने
जगावीने नवा फित्ना जगतने छेतरी जाणे


करीने वात साची हक परस्तीनी मगर मासूम
मफत मणतुं अमर भाणे धरी दामन भरी जाणे।


                         मासूम मोडासवी


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