राजेंद्र रायपुरी

😌 फांसी के फंदे का दर्द 😌 


फांसी का फंदा कहे,
                    कैसा ये खिलवाड़।
सभी दरिंदे बच रहे,
                     ले  कानूनी  आड़।


कैसा ये कानून जो,
                  दिला सके ना न्याय।
इसे बनाया है उसे, 
                   लगे कहीं मत हाय।


बदलो-बदलो आज ही, 
                       बदलो ये कानून।
अब तो सारे देश का,   
                     खौल रहा है खून।


मां के  आॉसू  पूछते, 
                 कब तक होगा न्याय।
हर दिन खोजें जा रहे, 
                      बचने नये उपाय।


खाली बैठा मैं यहां, 
                    झोंक रहा हूं भाड़। 
अगर नहीं लटका सको,    
                     दो ज़िंदा ही गाड़। 


          ।। राजेंद्र रायपुरी।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...