रवि रश्मि 'अनुभूति ' मुंबई

 


    गीत 
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प्रदत्त पंक्ति --
मोहन मधुर बजाए बंशी , 
      प्रेम मगन हो इतराऊँ ।
मात्रा भार  --  16 , 14 .


धुन कोई भी गाये बंशी , 
      मैं भी संग सदा गाऊँ ।
मोहन मधुर बजाए बंशी , 
      प्रेम मगन हो इतराऊँ ।।


लहरें मन में उठें तरंगित , 
      झूम झूम लो उतरातीं ।
मचल मचल कर अब देखो तो , 
      अपना ही हाल सुनातीं । 
मैं भी लहरा कर सुन लो अब , 
      डगमग बोली मैं जाऊँ।।
मोहन मधुर बजाये बंशी , 
      प्रेम मगन हो इतराऊँ ।।


मन में मोहन बसते सुन लो , 
      सदा रहें बातें यूँ ही ।
धड़कन में बसते हैं मोहन , 
      गाते रहते बस यूँ ही ।
रूठें नहीं कभी भी गिरिधर , 
      रूठें तो अभी मनाऊँ ।।
मोहन मधुर बजाये बंसी , 
      प्रेम मगन हो इतराऊँ ।


प्रेम पंथ ही जानूँ मैं तो , 
      और न जानूँ अब राहें ।
मैं उबरूँ तब ही तो सुन लो , 
      मोहना थाम लो बाँहें ।।
अधरों से मुरली अभी लगा , 
      धुन मधुर सुन मै बजाऊँ।
भक्ति भावना भर दो अब तो , 
     भव सागर मैं तर जाऊँ ।।
मोहन मधुर बजाए बंशी , 
      प्रेम मगन हो जाऊँ ।।
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