सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
    *"स्त्री बड़ी महान"*
"गरीब के चलते वो तो,
निकली घर से-
करने मज़दूरी का काम।
कड़ी धूप में सिर पर बोझा,
होठो पर है-मुस्कान-
ये स्त्री बड़ी महान।
मुस्कान के पीछे छिपी 
खुशी,
मिलेगा इससे अन्न जल -
फिर करेगी वो आराम।
थक भी जाये वो तो भी,
गरीबी से होगी न परेशान-
होठो पर बनी रहेगी मुस्कान।
गरीबी के चलते वो तो,
निकली घर से-
करने मज़दूरी का काम।।"
     सुनील कुमार गुप्ता


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...