देवानंद साहा"आनंदअमरपुरी"

.......तशरीफ़ लाये हैं..........


तशरीफ़ लाये हैं इस जहां में;
चंद   रोज  बिताने  के लिए।
कर सकें जो भला  कर  लें ;
इस    जमाने     के    लिए।
क्या  पता  जब  हम हो रहे;
होंगे रुख़सत इस जहां   से।
कुछ  न  होगा   साथ    में ;
उपरबालेको बतानेके लिए।


-देवानंद साहा"आनंदअमरपुरी"


 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...