डॉ प्रखर दीक्षित* *फर्रुखाबाद*

*होली*


सौहार्द प्रेम सदभाव ह्रदय, दमके सिर चंदन शुभ रोली।
अघ दूषण परिहर त्रय ताप मिटैं,जीवन सरसै  बन रंगोली।।
रंग अबीर गुलाल चलै, परिहास हास आनंद घनो,
मनकाम्य शुभम् हरि मनस प्रखर,समृद्ध सुखद सबकी होली।।


*डॉ प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*


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