आलोक मित्तल

बस खुशी ही खुशी चाहिए।
ऐसी ही ज़िन्दगी चाहिए ।


मुस्कुराहट रहे होठ पर,
दिल में बस ताज़गी चाहिए।


आदमी आदमी से मिले
दिल में  उसके ख़ुशी चाहिए।


प्यार से बात कर लो कभी,
आप से आशिकी चाहिए।


दूर से दे दिखाई हमें ,
हर जगह रौशनी  चाहिए ।


चाँद हो आसमाँ में खिला,
रात में चाँदनी चाहिए।


** आलोक मित्तल **


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...