कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज

💐🌅सुप्रभातम्🌅💐


 


दिनांकः २९.०५.२०२०


दिवसः शुक्रवार


छन्दः मात्रिक


विधाः दोहा


शीर्षकः नया सबेरा जिंदगी


पुलकित है पा अरुणिमा ,निर्मल चित्त निकुंज।


उठी कलम नवलेख को , देश प्रेम की गुंज।। 


देश बने जीवन कला , देश बने अरमान।


राष्ट्र प्रगति समझें प्रगति, देश आत्म सम्मान।।


बिना राष्ट्र नौका समा, जीवन बिन पतवार।


दिशा दशा निर्भर वतन , एक राष्ट्र परिवार।।


जीएँ हरपल जिंदगी , मानव जन कल्याण।


देशभक्ति अर्पण वतन, सदा राष्ट्र निर्माण।।  


ध्वजा तिरंगा शान हो , हो जीवन सम्मान। 


नया सबेरा जिंदगी , रोग शोक अवसान।।


हरी भरी धरती रहे , स्वच्छ प्रकृति संसार।


रोग मुक्त जन मन वतन, सकल विश्व परिवार।।


भारत हमारी आत्मा , हम भारत शृङ्गार।


सौ जन्म बलिदान भी , कम भारत उद्धार।।


कवि निकुंज अभिलाष मन,अर्पण जीवन देश। 


फैले खुशियाँ चहुँदिशा , समरसता संदेश।। 


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक(स्वरचित)


नई दिल्ली


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