सुरेन्द्र पाल मिश्रा पूर्व निदेशक भारत सरकार

आज सावन सोमवार के अवसर पर भगवान शिव के दशम् ज्योतिर्लिंग की कथा तथा महिमा।


ज्योतिर्लिंग दशम् शम्भु का परम पुनीत श्री त्रियम्बकेश्वर।


गोदावरी तट महाराष्ट्र सह्य पर्वत के विमल शिखर पर।


रहतीं थीं जो ब्राम्हण महिला, महर्षि गौतम जी के तप बन।


हुई सभी की किसी बात पर ऋषि पत्नि अहल्या से अनबन।


ऋषि गौतम के अपकार हेतु मुनियों ने छल से काम लिया।


श्री गणनायक की अनुकम्पा से क्रतिम गौ का निर्माण किया।


ले जाकर खड़ी किया उसको गौतम के उपवन के अन्दर।


ऋषि लगे हटाने त्रण द्वारा गैया मर गई वहीं गिर कर।


तत्क्षण ही ब्राम्हण पहुंच गए बोले आश्रम में ना जाओ।


प्रायश्चित हित तुम धरती अरु गिरि ब्रम्ह परिक्रमा कर आओ।


विधिवत अपना स्नान करो पवित्र गंगा जी को लाकर।


पूजन अर्चन करो शम्भु का करोड़ एक शिव लिंग बनाकर।


ऋषि के कठोर तप पूजन से सन्तुष्ट हुए प्रभु शिवशंकर।


मुनिवर के सम्मुख प्रगट हुए ज्योतिर्लिंग रूप में आकर।


प्रभु बोले हैं निष्पाप आप दोषी तुम्हें बनाया छल से।


तब ऋषि गौतम ने विनती की श्री महादेव शिवशंकर सेग।


स्वीकार किया उनकी विनती पावन गंगा को धारण कर।


ज्योतिर्लिंग रूप में शिव जी स्थित हुए इसी स्थल पर।


सदा शिव त्रियम्बक महादेव गंगा प्रसिद्ध गौतमी गंगा।


त्रियम्बकेश्वर पाप विनाशक सदा रहें भक्तों के संगा।


चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम।


हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम।


     सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।


मोबाइल नं ९९५८६९१०७८,८८४०४७७९८३


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...