विनय साग़र जायसवाल

सारे अज़ीज़ उनकी हिमायत में आ गये


मजबूर होके हम भी सियासत में 


आ गये 


 


हाँलाकि ख़ौफ़ सबको सितमगर का था बहुत


कुछ लोग फिर भी मेरी वकालत में आ गये 


 


इतने हसीन जाल बिछाये थे आपने


हम ख़ुद शिकार होके हिरासत में आ गये 


 


सोचा नहीं नशे में हुकूमत के आपने 


अहबाब इतने कैसे बग़ाबत में आ गये 


 


हम तो इसी गुमान में लुटते रहे कि वो


आवारगी को छोड़ शराफ़त में आ गये


 


इतना फ़रेब उसकी निगाहों में था छुपा


उस पर यक़ीन करके मुसीबत में आ गये


 


शीशे में हमने उनको उतारा ही इस तरह


इनकार करते करते मुहब्बत में आ गये


 


*साग़र* हमारे बारे में क्या उड़ गई ख़बर 


सुनते ही जिसको आज वो हैबत में आ गये


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल


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