कालिका प्रसाद सेमवाल

सरस्वती वंदना


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हे मां सरस्वती


तुम प्रज्ञा रूपी किरण पुंज है,


हम तो निपट अंधेरा है मां।


हर दो मां अंधकार तन -मन का,


मां सबकी नयै पार कर दो।


 


मां हमरे अन्दर ऐसा भाव जगाओ,


हर जन का उपकार करे।


हममें जो भी कमियां हैं मां,


उनको हमसे दूर करो मां।


 


पनपें ना दुर्भाव कभी हृदय में,


घर -आंगन उजियारा करो मां।


बुरा न देखें बुरा कहें ना,


ऐसी सद् बुद्धि हमें दे दो मां।


 


मां हम तो निपट अज्ञानी है,


हमको सुमति तुम दे दो मां।


निर्मल करके तन-मन सारा,


सकल विकार मिटा दो मां।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


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