राजेंद्र रायपुरी

दुख और सुख


 


दुख जीवन भर साथ दे,


               सुख की क्या औकात‌।


चाहे जिससे पूछ लो,


               झूठ नहीं यह बात।


 


दुख में ही पहचान हो, 


                कौन- कौन है साथ।


कौन छुड़ाकर चल दिया,


               दुख में अपना हाथ।


 


जीवन में यदि दुख नहीं,


            फिर सुख का क्या मोल।


चाय लगे मीठी कहाॅ॑,


                खाए मीठा बोल। 


 


साथी अपना मान ले,


             जो दुख इस संसार।


वही लगा पाता सुनो, 


                 जीवन नैया पार।


 


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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