सुनीता असीम

हो गईं बातें पुरानी मेरी।


ढल रही जबसे जवानी मेरी।


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ये गुमाँ भी हो गया लोगों को।


हो गईं ये है दिवानी मेरी।


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वक्त की रफ्तार भी थम जाएगी।


देख लेगा जो रवानी मेरी।


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आंख में आंसू तुम्हारी होंगे।


जो सुनोगे तुम कहानी मेरी।


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यूं पराए हो गए अपने कुछ।


फेंक दी बाहर निशानी मेरी।


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सुनीता असीम


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