अतुल पाठक "धैर्य" हाथरस

करवाचौथ विशेष कविता


शीर्षक-कशिश महताब जैसी


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कशिश तेरी महताब जैसी, 


महताब में नज़र तू आने लगी।


 


इश्क और मुश्क तुझसे दीवाना तेरा,


दिल की गली प्यार की इक कली लगाने लगी।


 


संग तू है तो और कोई नहीं मेरी हमराज़~ए~तमन्ना,


तेरे होने से वीरान दिल में रोशनाई आने लगी।


 


लाज़मी है चाँद का गुमाँ टूटना,


आखिर मेरी चाँद के आगे उसकी चमक फीकी पड़ने लगी।


 


जब से दो जिस्मों में एक जान बसने लगी,


प्यार की दुनिया आबाद होने लगी।


@उत्तर प्रदेश)


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