सुनीता असीम

 आज नायाब होके देखते हैं।

जमजमे आब होके देखते हैं।

******

कुछ असर प्यार का न हो तुझपे।

हम ही बेताब होके देखते हैं।

******

इस तरह डाल लो नज़र हमपे।

आज सुर्खाब होके देखते हैं।

******

मित्र पर करते हो कृपा कान्हा।

तेरा अहबाब होके देखते हैं।

******

ओस से फर्क तो नहीं तुझको।

हम ही सैलाब होके देखते हैं।

******

सुनीता असीम

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...