विनय साग़र जायसवाल

 एक मतला एक शेर

ज़िन्दगानी इस कदर नाकाम हो कर रह गयी

हर ख़ुशी अंदेशा-ऐ-अंजाम हो कर रह गयी 


जाते जाते देख लेते उनके चेहरे की शिकन

हाय यह भी आरज़ू नाकाम हो कर रह गयी 


🖋️विनय साग़र जायसवाल

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