नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

 ------वतन-----


.तन वतन के लिये

मन वतन के लिए

भाव भावनाए वतन का प्रवाह

वतन ही जिंदगी वतन ही पहचान ।।

वतन पर जीना मरना ही 

ख्वाब हकीकत अरमान 

वतन सलामत रहे 

वतन से ही रिश्ता खास अभिमान ।।

वतन की संस्कृति संस्कार तिरंगा

 शान स्वभिमान तिरंगा

वंदे मातरम माँ भारती के

आराधन का मूल मंत्र सम्मान तिरंगा।।

सीने में वतन की जज्बे  की ज्वाला।

 सांसो धड़कन की गर्मी

वतन की अस्मत  प्राण।।

चाहे जितने भी आये माँ

भारती को बनाने गुलाम

त्याग बलिदानी धरती के माँ

भारती के बीर सपूतों ने माँ भारती की आजादी की रक्षा में दे दी जान।।

वतन की राह चाह में हो

गए कुर्बान ना कोई अफसोस

ना कोई ग्लानि हँसते हँसते

लड़ते तिरंगे को दिया ऊंचाई

आसमान।।

दुश्मन जो आंख दिखाए

उसका कर दे वो हाल 

जल बिन जैसे मछली तड़पे

पानी बिन तरसे जीवन को

मौत की मांगें भीख मर्दन कर दे

कर दे मान।।

वतन धर्म ,वतन कर्म दायित्व

सपनो में भी वतन भौतिकता

नैतिकता  में वतन की गरिमा

गौरव का पल पल मर्यादा की

गौरव गाथा गान का भान।।

आजादी के दीवानों परवानों के

बलिदानों के उद्देश्य पथ का पथिक

स्वतंत्रता गणतंत्र के मौलिक

मूल्यों का अवनि आकाश आन

वान का जीवन जान।।


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर

सती शंकर भरत के साधु संतों की देश भक्ति बलिदान---


कौन कहता है माँ भारती के

सत्य सनातन  का साधु संत

धर्म कर्म साधना आराधना शास्त्र

आचरण का सिर्फ प्रवचन सुनाते।।

जब- जब राष्ट्र समाज पर क्रुरता आक्रांता आता।।


जागृत हो साधु संतों का समाज

मंदिर से क्रांति चेतना के अंगारों में खुद की आहूति करते भेंट चढ़ाते।।


घंटे और घड़ियालों की आवाजों से

राष्ट्र समाज को नित्य झकझोरता सावधान  करता।।

कुरूक्षेत्र के युद्ध भूमि से योगेश्वर कृष्ण के गीता ज्ञान का हो प्रत्यक्ष प्रमाण धर्म युद्ध में पांचजन्य की

शंख नाद है करता।।

भारत ने भुला दिया सत्य सनातन के

साधु संतों सन्यासियों की देश भक्ति।।

बलिदान का गौरवशाली इतिहास

सर्वश्व न्यवछावर कर बचा लिया 

जिसने भारत की लाज।।

भारत की आजादी गणतन्त्र के शुभ

पर्व माँ भारती की रक्षा अस्मत पर मिट जाने वाले संतो की हम याद दिलाते ।।


मिट गए

हज़ारो जल नदी की रक्त सी हो गयी

लाल।।

अफगानी आक्रांता के नियत और 

इरादे रौंदना भारत भूमि पे था करना मौत का था नंगा नाच ।।     


विकृत विचारों का

दानव दुष्ट निकल पड़ा भारत को करने

शर्म सार भारत भूमि की मर्यादा का करने तार तार।।


नागा साधु संतों ने किया प्रतिकार

एक हाथ मे वेद पुराण दूजे हाथ तलवार।।


 दुश्मन से करने दो दो हाथ हर हर महादेव जय भवानी की गूंज गान।।

नागा साधु संतों ने भारत की मर्यादा

रक्षा में सर्वश्व किया बलिदान 

नापाक इरादों के दुशमन कर दिया धूल धुसित भगा लेकर जान।।

बचा लिया होने से भारतीयों का

कत्लेआम ना जाने कितने भारत वासी दानवता की चढ़ते भेट मंदिर तोड़े जाते होती वहाँ आज़ान।।                              


आज

वर्तमान में भारत की पीढ़ी गुलामी

की एक अलग काला अध्याय सुनते

और सुनाते।।

ना  जाने क्यों भुल गया भारत का इतिहास भारत के सत्य सनातन के नाग साधु संतो के सौर्य पराक्रम का बलिदान।।

गनतंत्र दिवस पर नागा साधु संतों के बलिदान बीरता का इतिहास  हम भारत वासी है गाते श्रद्धा से 

 शीश झुकाते।।


भारत की आज़ादी अस्मत पर ना जाने  कितने ही इतिहास

अनजाने -जाने हम याद दिलाते ।।                    


भारत की आज़ादी अस्मत के बलिदानों  को कृतज्ञ राष्ट्र के माथे का चंदन  गौरव गरिमा मान अभिमान सुनते ।।


नन्दलाल मणि  त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश


 ----- हिन्द की सेना-----



बर्फ के चट्टानों पे एक हाथ

संगीन दूजे हाथ तिरंगा

रेतीले तूफानों में खड़ा बना

फौलाद देश की सीमाओं 

मुश्तैद जवान।।

नयी नवेली दुल्हन कर रही

होती है इंतज़ार ईश्वर से आशीर्वाद मांगती बना रहे सुहाग।।

बूढे माँ बाप की पथराई आँखे

अपने सपूत का एकटक इंतज़ार

बेटा देश की रक्षा में लम्हा लम्हा

दुश्मन से लड़ता होगा कब उसका

दीदार।।

आज सीमाओं पे जो हालात

दुश्मन कब किधर से आए

पता नहीं धोखा मक्कारी का

छद्म युद्ध लड़ रही सेना हिंदुस्तान।।

माँ भारती का हर नौजवान

दुश्मन से करता पल प्रहर दो

दो हाथ दुश्मन को औकात बताएं

भारत के बीर जवान।।

जय भवानी हर हर महादेव 

भारत की सेना का शंख नाद

विजयी विश्व तिरंगे की सेना

भारत का अभिमान।।

 दुश्मन चाहे जितना भी हो

चालाक  हिन्द की

सेना चकनाचूर करती अभिमान

धीर धैर्य बीर गंभीर साहस 

निष्ठा समर्पण पराक्रम पुरुषार्थ

हिन्द की सेना बाज़।।

शपथ तिरंगे की कफ़न तिरंगा

आन बान् सम्मान तिरंगा कर्तव्य

पथ पर बढ़ते जाना जीवन का

मूल्य मातृ भूमि की सेवा में दुश्मन

लहू का तर्पण या खुद के लहू

से बीरता की नई इबारत लिख जाना।।

                          

 नई नवेली दुल्हन भी भाग्य पर

इतराती देश की खातिर मर मिटने

वाले शौहर की मर्यादा को जीवन

भर निभाती ।                          


गर्व से नारी गैरव की

गाथा का किस्सा हिस्सा बन जाती।।

पथराई आँखों के माँ बाप अपने

बीर सपूतो को आशीषो का देते

वरदान ईश्वर से मांगते जन्मों जन्मों में देश पर मर मिटने वाली हो मेरी

संतान।।

हिन्द की सेना हिन्द का 

हर एक जवान वतन की

रक्षा में काल कराल विकट

विकराल ।।

हिन्द का जन जन करता नमन

प्रणाम हिन्द की सेना हिन्दुस्तान

की गौरव गाथा की शान स्वाभिमान।।


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

 -----पराक्रम दिवस-------



पराक्रम का मतलब वो क्या जाने

जिसे  का पता नही भारत हिन्द हिंदुस्तान।

पर उपकार कर्म न्योछावर जीवन

पराक्रम का है मान।।

परमात्मा की सत्ता आत्म शक्ति का

संधान समपर्ण युग  समाज राष्ट्र

वर्तमान इतिहास की खातिर 

पराक्रम के मूल  मंत्र सम्मान।।

स्वयं स्वार्थ का त्याग नियत नीति

निर्धारक जन्म मृत्यु से निडर 

जीवन का उद्देश्य काल की गति

निधार्रण पराक्रम का सत्य सत्यर्थ

सर्व स्वीकार।।

प्रभावती जानकी नाथ की

आभा कटक भूमि भारत की

अविनि अभिमान।

आज वर्तमान अतीत के गौरव

गूंज का है गवाह।।

शिक्षा दीक्षा में गोरों को दिया चुनौती

व्यक्ति व्यक्तिव का अपना अंदाज़

पराक्रम का नव सूर्य सूर्योदय 

पराक्रम का युग पुरुष प्रवाह

सुभाष नाम।।     


 विनम्रता आभूषण धीर बीर गंभीर

नैतिक मूल्यों का मानव मानवता का पराक्रम अग्रदूत टकराव नही  

फौलाद इरादों का पराक्रम प्रखर प्रवाह।।

गांधी जी के उद्देश्यों की ज्वाला

आग अंगार सत्य अहिंसा के महात्मा

कर्म धर्म राष्ट्र मूल्य  बापू के

मकसद का उत्साह पराक्रम नेता नाम।।

पराक्रम का युग पुरुष सुभाष

शून्य से शिखर जीवन की नई

परिभाषा प्रमाण ।।।                   


निर्बाध बढ़ता

जाता लिखने खुद के वर्तमान से

एक नया इतिहास की शान।।

कल्पना की सत्यता का क्रांति

पुत्र भारत के बीर सपूतो की

संयुक्त शक्ति हिन्द की सेना का

नायक नेता सुभाष था गूंज गान।।

हिम्मत साहस की पूंजी मात्र

भारत की आजादी की ज्वाला

चिंगारी काल कराल विकट विकराल

दुश्मन का भय भान।।।                 


प्रथम पुरुष

विश्व का पास नही कुछ भी 

था ठन ठन गोपाल दृढ़ इच्छा

शक्ति निष्ठा समपर्ण पूँजी ।

किया अस्त्र शस्त्र आजाद हिंद फौज सेना का निर्माण।।

दानव दुश्मन ने हिम्मत हारी

समझ गया अर्थ पराक्रम 

खून और आजादी  के जंग

जज्बे की आवाज अंदाज़।।

भारत के इतिहास में नेता

सवंत्रता स्वतंत्र विचार की सोच

स्वतंत्रता की ज्वाला मिशाल मशाल

पराक्रम की पराकाष्ठा की अविनि

आकाश।।

नांदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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